Saturday 16 May 2020

कानैं, सौसे दुनिया अखनी, भोकरी-भोकरी / कवि - सुधीर कुमार प्रोग्रामर

कोरोना गीत 

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कानैं, सौसे दुनिया अखनी, भोकरी-भोकरी..
मारै कोरोना झमारी के, पकरी पकरी।

चीन म जनम होलै, चीनें में जुवान हो
जिनगी हसोती लेलकै, विदेशी हैवान हो

भागे लागलै लोग, छोड़ी-छोडी़ नौकरी
मारै कोरोना झमारी के पकरी पकरी।

थपरी बजैलियै हो, थरियो बजैलियै
नाक-मुंह झापै लेली, जालियो बनैलियै

कानै ! दूर रही नूनियां, हकरी-हकरी
मारै कोरोना झमारी के पकरी पकरी।

डाक्टर-नर्स केरो, खतरा मं जान हो
सिपाही के साथ, सरकारो परेशान हो

लॉक में छै भूखली, बकरी-छकरी
मारै कोरोना झमारी के,पकरी पकरी।

आपनों ईलाज आबै आपन्हैं से करबै
काम-काज चालू करी, बनी-ठनी रहबै

कोरोना समेंटतै, हो झोला-झकरी
मारै कोरोना झमारी के, पकरी पकरी।
....
कवि - सुधीर कुमार प्रोग्रामर
कवि का ईमेल आईडी - skp11061@rediffmail.com
पता - अंगलोक, पार्वती मिल सुल्तानगंज
भागलपुर-८१३२१३ (बिहार)
प्रतिक्रिया हेतु ई ब्लॉग के ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com

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