Friday 12 July 2019

कभी जिताबै कभी हराबै (मेघा-गजल : अंगिका) / सुधीर कुमार प्रोग्रामर

मेघा-गजल : अंगिका

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कभी जिताबै कभी हराबै
इ मेघ गरजी बड़ी डराबै

गजब गजब के बनै जनावर
हवा महल में चरै चराबै

सखी सहेली बनी कॅ बिजली
कभी हसाबै कभी कनाबै

बड़ी जतन सॅ सुखैलों जरना
झकास बान्ही भिगै भिंगाबै

उधास मन मॅ हुलास घोरी
विरह जखम कॅ भरै भराबै.
...
कवि - सुधीर कुमार प्रोग्रामर
कवि के ईमेल आईडी - skp11061@rediffmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com


बरसात / वर्षा / Rain



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