Friday 10 November 2017

माटी के मोह - अंगिका कहानी / लेखक- सुधीर कुमार सिंह 'प्रोग्राए

 भाग-1

गोबिंद महतो के दुआरी पर लाल-पीरों बत्ती लागलो चकचक गाड़ी. किसिम-किसिम के भेस में सोर-सिपाही. अगल-बगल के पड़ोसी रही-रही ताक-झाँक करी के मामला समझे के जुगाड़ में लागलों रहै. मतर बात आरों ओझारैलों जाय. 77 बरस के गोविन्द बाबू एकदम भमनसों आदमी छै. नौकर चाकर के भरोसे मगन रहै छै. 15-20 बीघा जोत के बपैती जमीन छै. एक मात्र टिटेही रंग बेटा विक्रम छै. सुनै छियौ उ विदेश में बड़का आफिसर छीकै. चार बरस पहिने विक्रम विदेशी लड़की से बीहा करलकै. वही खुशी में गोविन्द बाबू धमगज्जर भोज-भात करी केँ साब केँ अघाय देलकै. मतर अचानक की भेलै जे आय अचानक गोविन्द महतो के घोंर में छापामारी होय रहलों छै.
(-जारी)
...
लेखक- सुधीर कुमार सिंह 'प्रोग्रामर'


2 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद। वास्तव में बिहारी चाहे ते साहित्यिक जगत में बिहारी धमाका करे पारे। एकरे प्रमाण छिके है प्रयास। एक बार फेरु धन्यवाद आरो आभार।

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    1. धन्यवाद। अहाँ के सहयोग मिलैत रहे।

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