Friday, 12 July 2019

कभी जिताबै कभी हराबै (मेघा-गजल : अंगिका) / सुधीर कुमार प्रोग्रामर

मेघा-गजल : अंगिका

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कभी जिताबै कभी हराबै
इ मेघ गरजी बड़ी डराबै

गजब गजब के बनै जनावर
हवा महल में चरै चराबै

सखी सहेली बनी कॅ बिजली
कभी हसाबै कभी कनाबै

बड़ी जतन सॅ सुखैलों जरना
झकास बान्ही भिगै भिंगाबै

उधास मन मॅ हुलास घोरी
विरह जखम कॅ भरै भराबै.
...
कवि - सुधीर कुमार प्रोग्रामर
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बरसात / वर्षा / Rain



बाजै छै ऐंगना में / पावस गीत - भावानंद सिंह प्रशांत

अंगिका पावस गीत 

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बाजै छै ऐंगना में
पावस के गीत 
सखी जागै छै प्रीत ।

बुन्नी के टिकुली हम्में 
लेबै बनाय
पावस के फुन्सी लेबै 
मांग में सजाय 
ओलती में भींगी लेबै
पिया दिल जीत 
बाजै छै ऐंगना में 
पावस के गीत ।

चमकै बिजुरिया तें 
मोन हहराय 
बदरा के दै छै 
हकारो सुनाय 
ऐंगना मे छप -छप 
छिरयावै छै प्रीत 
बाजै छै ऐंगना में 
पावस के गीत ।

झरिया के झोर ओढी 
ऐंगना ठारी
पावस के मद में गेल्हों 
सबकुछ हारी 
बुन्दिया के कण-कण में
छैयलो हमर मीत 
बाजै छै ऐंगना में 
पावस के गीत ।
....
कवि - भावानंद सिंह प्रशांत 
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Wednesday, 26 June 2019

यहे छेकै मोर पिया / कवि - राजकुमार भारती

यहे छेकै मोर पिया


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केतना जे अच्छा छै
जब जब बोलाबै छौ
दै हमरा गच्चा छै
रोबे जे बबुआ छै
कानै जे बचिया छै
देखै ले पप्पा कै
तरसै सब बचबा छै

कम्बै परदेशबा छै
भेजै सनेसबा छै
मिट्ठा मिट्ठा बात
करै मोबैलबा छै
काम आरू धंधा में
दिन केनौह कटै छै
रात के अंधेरिया मे
याद बड्डी सतबै छै
तरसै छी  बरसै छी
बड़ी दुख पाबै छी

कोशी सहरसा के
मगध तिरहुतिया के
अंग परदेशबा और
जवान भोजपुरिया के
हाल सबके एक्के छै
कैनियन और दुल्हिन के
नयकी पुरनकी के
आरू दुलरैती के
तरसै छै खूब जिया
तरसै छै खूब जिया
यहे छेकै मोर पिया
यहे छेकै मोर पिया.


लगै छै ऐसने जैसन सभ्भे नरभसाईये गेलै

दुलहिन छै पलंग पे सूतल
दुल्हा करै छै झाड़ू बर्तन
जखनी बचबा छै कानै
हुनी तअ हुनका के खोजै
पूछै जी कन्डे गेलोह
जरा बबुआ के लहोअ
हे हो छौड़बा के बाबू
करो ऐकरा पर काबू
तेन्टा नीम्मक लेअ आबो
सब्जी भी काटिये दहोअ
हमरा गोर मे दरद छै
रोटियो बनाईये लिहोअ
सबके घर एक्के तमाशा
कैसन अईलै जमाना
जूत्ता सिलाई से तअ
चंडी के पाठ करै तक
मरद बेचारा के तअ करेये होय छै
हित नाता मे बात जे फैललै
दुल्हा सकपकाईये गेलै
लगै छै ऐसने जैसन सभ्भे नरभसाईये गेलै

कैसन गुटखा खबैय्या
सगरे थूक से घिनाबै भैय्या
देखोह ई नाया फेकरा
कहभो तोय केकरा केकरा
दिनभर उपवास करै छै
ओकरो मे गुटखा भी खाय छै
बड्डी सब मुॅह लबरा छै
पूछला पे ऊ ऊ करे छै
जहाॅ मन वहाॅ पर ई
पाव पाव भर थूक फेकै छै
कि पढलका कि मुरखबा
सब बकलोल होईये गेलै
लगै छै ऐसने जैसन सभ्भे नरभसाईये गेलै

भाषणबाजी मे देखो
कैसन समाॅ बाॅधै छै
बोले छै मोध के जैसन
अंधभक्त लोग सब भी
जुटै मधुमक्खी जैसन
ढोंगीये तअ पूजल जाय छै
सीधका बदनाम हुऐ छै
बुधियार लजाईये जाय छै
लोग सब अंधराईये जाय छै
कैसन कैसन कुकर्मी
चलबै अप्पन मनमरजी
बड़ बुजुर्ग त बोलै जे छै
उहाॅ देर छै अंधेर नै छै
नैतिक पतन ते देखोह
कत्ते के होईये गेलै
लगै छै ऐसने जैसन सभ्भे नरभसाईये गेलै.
.....
कवि- राजकुमार भारती 
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Wednesday, 19 June 2019

बुतरू-तुतरू (अंगिका कविता) / कवि - राजकुमार भारती

जखनी हम बुतरू छेलियै



जखनी हम बुतरू छेलियै
तुतरू ले कानै छेलियै

भोरे भी हाँस्सै छेलियै
साँझे भी खेलै छेलियै
झौगरी ऊखाड़ै छेलियै
भुट्टा भी तोड़ै छेलियै
खेत खलिहानमा में
मजा ऊड़ाबै छेलियै
जखनी हम बुतरू छेलियै
तुतरू ले कानै छेलियै

इसकूल मे पढै छेलियै
सेवा भी करै छेलियै
कभी कभी मासब से
मारो भी खाईये छेलियै
आटा पिसाबै छेलियै
भुन्जा भुंजाबै छेलियै
मैय्यो आरू बाबू के
कहना ते मानै छेलियै
जखनी हम बुतरू छेलियै
तुतरू ले कानै छेलियै

केतना मस्ती करलियै
केतना कस्ती चढलियै
आबे जब सोचै छियै
याद सभ्भे आबे लगलै
बहुते पछताबै छियै
चुप्पे चुप रोयै छियै
दिन ऊ कहाँ गेलै
दशा ई कैसन भेलै
कभी कभी मन छै करै
खुभ्भे हम बैठौ कानी
फेरू होय जाँअ हम बुतरू
कोय दिये लानी तुतरू

फेरू होय जाँअ हम बुतरू
कोय दिये लानी तुतरू।
...
कवि - राजकुमार भारती 
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Monday, 10 June 2019

हे हो भूख मेटाबै वाला, पेट के आग धधाबो नय / सुधीर कुमार प्रोग्रामर के अंगिका कविता, गीत आ ग़ज़ल

करिया दाग लगाबो नय



हे हो भूख मेटाबै वाला, पेट के आग धधाबो नय
गाँधी के उजरो पगड़ी में करिया दाग लगाबो नय।

कल्पै माय कटोरा लेने, पेट पकड़ने सेहरी पर
टूक टूक ताके छै रोटी ले, विश्व बैंक के देहरी पर
सत्तर साल के आजादी में, जरलो साग बनाबो नय
गाँधी के उजरो पगड़ी में करिया दाग लगाबो नय।

सीमा पर टुह-टूह रंग बेटा, टटका लहू जराबै छै
बड़का के रक्षा में छोटका, रोजे-रोज मराबै छै
जोड़ घटाव गुणा सब सिखलों, उल्टा भाग पढाबो नय
गाँधी के उजरो पगड़ी में करिया दाग लगाबो नय।

विदेशी हर माल पे कीमत साठ गुणा सटबाबै छै
हमरा पटियाबै के लेली कूपन भी बटबाबै छै
बापू के चरखा बोलै, चटखा के राग भुलाबो नय
गाँधी के उजरो पगड़ी पर करिया दाग लगाबो नय।

हमरा पेरी के आफिस के, बाबू तेल चुआबै छै
एक काम फ़रियाबै खातिर, साले-साल झुलाबै छै
बहिरा बोली आफिसर के, बिषधर नाग बनाबो नय
गाँधी के उजरो धरती पर करिया दाग लगाबो नय।


अंगिका गजल

सुनो' बच्चे गजल छै
मगर अच्छे गजल छै

बहर के चोंच छोटो'
लगै कच्चे गजल छै

कहै हुलसी भतीजी
हमर चच्चे गजल छै

हकारो' झूठ के नय
अहो सच्चे गजल छै

हलां खोपा गुथाबो
पुरा लच्छे गजल छै।


अंगिका गजल 

कहै दादा स' इक पोता कि बाबू याद आबै छै
कहीने ने हमर मैया अहो' सिन्दूर लगाबै छै।

खनाखन हाथ में चूड़ी बजै छै रोज काकी के
हमर मैया के हांथो में अहो मठिया सुहाबै छै।

जों गहलै छै कभी कौआ ते ढेला फेकी के' मैया
अहो बोलो न दादा हो तुरत कहिने भगाबै छै।

पुजै छै तीज कारवाँ चौथ ई टोला मुहल्ला के
मगर मैया से' पूछै छी त कानी के कनाबै छै।


छाती म उठै हिलोर  
अंगिका गीत

जब हुयै साँझ स भोर
अरे रे रे रे रे हुल्कै लाल इनोर
चिडैयाँ नाचै छै....

अधरा ल' मांटी चालै छै
बिन खोता चुनमुन पालै छै
दाना के बदला कंकड़ से'
पेटो के खद्धा ढालै छै,
सूरज के लागी गोड़
मनाबै अहिनें र्हे इनोर
चिडैयाँ नाचै छै....।

धरती के सेवा घरम लगै
करनी देखी क सरम लगै
आधन के' खलबल पानी से'
आँखी के पानी गरम लगै,
छाती म उठै हिलोर
सुनी जब चोर मचाबै शोर
चिडैयाँ कानै छै...।
...
कवि - सुधीर कुमार प्रोग्रामर
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Wednesday, 20 March 2019

कैलाश झा किंकर के एक होली गीतिका और तीन घनाक्षरी वार्णिक छंद कविता

अंगिका
गीतिका




सब्भे ले' ऐलै बहार,अबकी होली मे ।
केना के' रहियै कुमार, अबकी होली मे ।

रामू के' भेलै ब्याह श्यामू के' भेलै
हमरा ले' नै बरतुहार, अबकी होली मे ।

हमरा से' छोट-छोट के' कनियाँ बसै छै
ठोकै छी हम्मे कपार, अबकी होली मे ।

तीसो के पार भेलै हम्मर उमरिया
बाबूजी करहो विचार, अबकी होली मे ।

नौकरी नै भेलै ते' हम्मर की दोष छै
ट्यूशन से' तीस हजार, अबकी होली मे।
,,,


मनहरण घनाक्षरी वार्णिक छन्द
अंगिका 
वसंत ऋतु

आबी गेलो छै बसंत, फूल खिललै अनन्त
हँस्सै सब्भे दिग्दिगंत, शोभै ऋतुराज छै ।
मंजरि गेलो छै आम, झूमै छै गाछी तमाम
कोयली लागै ललाम, मधुरी आवाज छै ।।
देखा-देखी कौआ बोलै, काँव काँव काँव करै
 कोयल नांकी कौआ मे, सुर छै न साज छै।
भनई कैलाश कवि, वासंती निहारी छवि
माता सरोसती जी के, पूजन सुकाज छै ।।

(2)

वासंती उमंग छिकै, भौंरा नै अनंग छिकै
संगिनी के संग छिकै, मोन फगुआय छै ।
हरा,लाल,पीला,रंग, गोरी के करै छै तंग
भांग पीने छै मतंग, रंग से नहाय' छै ।।
उड़ै सगरो गुलाल, होलै लाल मुँह-गाल
बूढ़ा-बूढ़ी भी बेहाल, खूब खिसिआय छै
भनई कैलाश कवि, होली खेलै खास कवि
ढूँढ़ै छी वसंती छवि, जहाँ वें नुकाय छै ।

(3)

चूवै महुआ पथार, पीरो-पीरो रस-धार
करै धरती सिंगार, शोभै छै वसंत मे ।
ऐलै कोंपल हजार, गाछी-गाछी में बहार
शोभै टेसू के कतार, भौंरा मकरन्द मे ।।
बजै मनो के सितार, ढोल झाल के सम्हार
ऐलै होली के त्योहार, खुशी ढूँढ़ो कंत मे ।
भनई कैलाश हार, बहियाँ के छै तैयार
करो खूबे प्रेम प्यार, खुशी पाबो अन्त मे ।।

....
कवि- कैलाश झा किंकर
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Saturday, 9 February 2019

विद्या के देवी बजाबै छै वीणा / कवि- कैलाश झा किंकर

झूमर

चित्रकार- नूतन बाला (यहाँ क्लिक कीजिए)


विद्या के देवी बजाबै छै वीणा सुनो-सुनो
माघी फूलै के महीना सुनो-सुनो।

मैया के रिझबै ले गाबै कोयलिया झूमि-झूमि
मँजरै अमुआँ के गछिया झूमि-झूमि।

हंस के सवारी पर ऐलो छै देवी घरे-घरे
बुँदिया,गजरा,जिलेबी घरे-घरे ।

गम-गम गमकै छै गुगुल आ फुलवा चारो दिशि
शोभै मैया के जलबा चारो दिशि।

माँगै छै किंकर मैया से विद्या कर जोरी
मिटबो मन के अविद्या कर जोरी।
...

कवि- कैलाश झा किंकर
मिथिला कला - नूतन बाला 
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अंगिका महोत्सव के अवसर पर 2 आरो 3 फरवरी, 2019 कें भागलपुर में भव्य सांस्कृतिक कार्य्रकम प्रस्तुत

अंग कॆ धरती पर बसंत कॆ अगुवानी करलकै अंगिका कवि 
एगो ऐसनऽ सशक्त कमेटी बनैलऽ जाय जे अंगिका क॑ ओकरऽ वाजिब अधिकार दिलाबै 



"अंगिका भाषा साहित्य के चललै बयार, 
गीत, गजल ,कवित्त, कविता सॆ निकललै जिनगी कॆ सार ।
छाय गेलै झिझिया कॆ नृत्य आरू नाटक, नाटिका, 
अंग भाषी होलै मदमस्त  देहरी  के भाषा सॆ बेशुमार ।
 कवि सिनी अंगिका मॆ डुबकी लगाय कॆ अंगिका कॆ देलकै जान , 
आरू पैलकै अंग-वस्त्र ,प्रशस्ति पत्र अंगिका प्रतीक चिन्ह सॆं  मान ।"
(-भवानंद सिंह)
                                 

दिनांक 2 आरो 3 फरवरी के दो दिवसीय अंगिका महोत्सव के आयोजन दल्लू बाबू धर्मशाला में करलो गेलो रहै।दोनों दिन दू सत्र में परिचर्चा आरो शाम में कवि गोष्ठी के आयोजन रहै। एक सौ सें अधिक कवि सब भाग लेलकै।ज्यादातर कवि अंगिका भाषी ही रहै लेकिन कुछ दोसरो भाषा के कवि क भी  आमंत्रित करलो गेलो रहै। दोनों दिन के चर्चा में बहुत सनी बात सामने अयलै खासकरी क अंगिका क अंगिका क आठवीं अनुसूची में शामिल करै पर ज्यादा जोर देलो गेलै। कुछ प्रस्ताव भी पास होलय। जेकरा में मुख्य छै- 

बिहार सरकार स॑ ई माँग छै कि प्राथमिक स्तर स॑ इंटरमीडिएट आरू उच्च शिक्षा तलक अंगिका भाषा म॑ पठन-पाठन के व्यवस्था सुनिश्चित कर॑ ।

अंगिका क्षेत्र केरऽ विभिन्न जिलाधिकारियऽ स॑ ई माँग छै, कि संबंधित जिला सब के राजपत्र (गजट) म॑ एक दुश्चचक्र सं अंगिका भाषा केरऽ स्थान प॑ जे 'मैथिली' भाषा केरऽ नाँव दर्ज करलऽ गेलऽ छै ओकरा निरस्त करतें हुअ॑ 'अंगिका' क॑ अंकित करलऽ जाय ।

सहज, सरल, सुगम देवनागरी लिपि में अंगिका के पढ़ै लिखै के व्यवस्था क॑ स्वीकृत करलऽ जाय

हर्ष के विषय छै कि अंगिका वासियऽ के भावना क॑ ध्यान म॑ रखी क॑ बिहार म॑ अंगिका अकादमी के स्थापना करतें हुअ॑ बिहार सरकार न॑ एगो विद्वान क॑ अंगिका अकादमी के अध्यक्ष पद प॑ प्रतिष्ठित करलकै । ई महोत्सव ई अनुभव करै छै कि अकादमी के गठन स॑ ल॑ करी क॑ आज तलक अंगिका अकादमी तरफऽ सें अंगिका के विकास, संवर्धन आरू उन्नयन लेली कोय उल्लेखनीय कदम नै उठैलऽ गेलऽ छै । ई लेली स॑ ई महोत्सव राज्य सरकार सें अनुरोध करै छै कि बिहार अंगिका अकादमी केरऽ अध्यक्ष पद प॑ कोनो अंगिका सेव़ी विद्वान क॑ प्रतिष्ठित कर॑ ।

ई महोत्सव सर्वसम्मति स॑ ई प्रस्ताव पारित करै छै कि समस्त क्षेत्र म॑ अंगिका लोक कला, मंजूषा पेंटिंग, स॑ सब्भे सरकारी व गैर सरकारी कार्यालय, संस्थान क॑ सुसज्जित करलऽ जाय आरू भागलपुर स॑ खुलै वाला रेलगाड़ी सब क॑ अंगिका पेंटिंग सें रंगलऽ जाय आरू स्टेशन स॑ अंगिका भाषा में भी सूचना प्रसारण के व्यवस्था करलऽ जाय।

अंगिका भाषा केरऽ समुचित विकास, प्रचार - प्रसार लेली एगो अंगिका पत्रिका (अर्द्धवार्षिक/छमाही) क॑ प्रकाशित करै के व्यवस्था सुनिश्चित करलऽ जाय ।

अंगिका भाषा क॑ संविधान केरऽ आठमऽ अनुसूची म॑ सम्मिलित कराबै लेली हर स्तर प॑ हर संभव प्रयास करलऽ जाय आरू एकरा लेली जुझारू व सक्षम व्यक्ति सिनी के एगो ऐसनऽ सशक्त कमेटी बनैलऽ जाय जे अंगिका क॑ ओकरऽ वाजिब अधिकार दिलाबै आरू आठमऽ अनुसूची म॑ शामिल होय के मार्ग प्रशस्त कर॑ सक॑ ।
.....

अंगिका सामग्री स्रोत - श्री एस. के. प्रोग्रामर, श्री शम्भू पी. सिंह एवं भवानंद 
चित्र सामग्री स्रोत - श्री एस. के. प्रोग्रामर एवं श्री शम्भू पी. सिंह 
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लौटी क आबै छै फँसलो बिहारी / गज़ल, गीत और दोहा - एस. के प्रोग्रामर

1. गजल  ( मुख्य पेज पर जायें -  bejodindia.in  /  हर 12 घंटे पर देखते र हें -  FB+ Bejod India ) लौटी क आबै छै फँसलो बिहा...

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