Monday 30 July 2018

अप्पन डफली अप्पन राग / कैलाश झा किंकर रचित अंगिका गज़ल

अंगिका ग़ज़ल
एमएसकेएम द्वारा और नितेश कुमार द्वारा निर्देशित नाटक "घुग्घू" के एक दृष्य /  यहाँ क्लिक कीजिए


अप्पन डफली अप्पन राग
छप्पर पर बोलै छै काग 

भाय के' हिस्सा हड़पै भाय 
ऊपर- ऊपर छै अनुराग 

जहरीला बिक्के छै दूध
जहरीले छो' सब्जी-साग 

धन-दौलत के' खातिर आय
लोग बनल छै गेहुँअन -नाग 

घुसखोरी के राह बनाय
पटना,दिल्ली लगबै लाग 

भैंसा-साँढ़ झगड़लै रात
उजड़ल-पुजरल लागै बाग 

धनिया काने-बिलखै रोज
पास-पड़ोसी मनबै फाग 

गाल बजाबै साँझ-बिहान
झलकै छै दामन मे' दाग।
.........
कवि- कैलाश झा किंकर
स्वत्वाधिकार - कैलाश झा किंकर

कवि- कैलाश झा किंकर




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