अंगिका ग़ज़ल
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एमएसकेएम द्वारा और नितेश कुमार द्वारा निर्देशित नाटक "घुग्घू" के एक दृष्य / यहाँ क्लिक कीजिए |
अप्पन डफली अप्पन राग
छप्पर पर बोलै छै काग
भाय के' हिस्सा हड़पै भाय
ऊपर- ऊपर छै अनुराग
जहरीला बिक्के छै दूध
जहरीले छो' सब्जी-साग
धन-दौलत के' खातिर आय
लोग बनल छै गेहुँअन -नाग
घुसखोरी के राह बनाय
पटना,दिल्ली लगबै लाग
भैंसा-साँढ़ झगड़लै रात
उजड़ल-पुजरल लागै बाग
धनिया काने-बिलखै रोज
पास-पड़ोसी मनबै फाग
गाल बजाबै साँझ-बिहान
झलकै छै दामन मे' दाग।
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कवि- कैलाश झा किंकर
स्वत्वाधिकार - कैलाश झा किंकर
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कवि- कैलाश झा किंकर |